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77: सोशल मीडिया हमारी आँखों, कानों और उंगलियों का उपभोग कर रहा है : विनीत कुमार

Informações:

Sinopsis

यह पॉडकास्ट कोरोना वायरस के हम सब के जीवन में आने से पहले रिकार्ड किया गया था. पुराने नॉर्मल में - एक स्टूडियो में, आमने सामने बैठकर, शुरू करने से पहले चाय पीते हुए. साउथ डेल्ही के उस स्टूडियो में बैठे हुए हमें, 20 फरवरी को, चीन और योरोप के बारे में पता था लेकिन ख़ुद हमारा जीवन इस तरफ़ जाने वाल है इसका कोई आइडिया नहीं था, सच में.  जाने माने मीडिया क्रिटिक विनीत कुमार ने हिंदी मनोरंजन चैनलों के प्राइम टाईम कंटेंट पर पी.एच डी की है. वे ब्लॉगिंग के ज़माने से हिंदी पब्लिक स्फीयर के डिजिटल फैलाव के एक सहभागी और  गहन आलोचक दोनों रहे हैं. सोशल मीडिया के साथ साथ टेलिविज़न और रेडियो पर भी उन्होंने काम किया है. 'उनकी प्रकाशित किताबें हैं मंडी में मीडिया' और 'इश्क़ कोई न्यूज़ नहीं'. इस बातचीत में वे हिंदी डिजिटल स्पेस की अब तक की यात्रा - मेल, ब्लॉग से फ़ेक न्यूज़ और अब्यूज़ तक - के विभिन्न पहलुओं पर बात कर रहे है.   Vineet Kumar's Picture: Jai Pandya